आयुर्वेदिक दवा इम्बो: एलर्जी और इम्यूनिटी की नई उम्मीद, चूहों पर अध्ययन में मिले आशाजनक परिणाम
देहरादून/रुद्रपुर, 29 अगस्त 2025: आयुर्वेद की प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ते हुए एक नई खोज सामने आई है। वैद्य चंद्र प्रकाश कैंसर रिसर्च फाउंडेशन के शोधकर्ताओं

देहरादून/रुद्रपुर, 29 अगस्त 2025: आयुर्वेद की प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ते हुए एक नई खोज सामने आई है। वैद्य चंद्र प्रकाश कैंसर रिसर्च फाउंडेशन के शोधकर्ताओं ने एक हर्बो-मिनरल आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन इम्बो’ पर अध्ययन किया, जो एलर्जी और कमजोर इम्यून सिस्टम वाली समस्याओं में कारगर साबित हो सकता है। यह दवा मंङूर भस्म और 18 जड़ी-बूटियों से बनी है, जिसने चूहों पर किए गए प्रयोगों में इम्यूनिटी बढ़ाने और एलर्जी नियंत्रित करने की क्षमता दिखाई है।
शोध पत्रिका ‘क्यूरियस’ में अप्रैल 2024 में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, इम्बो को पहले एलर्जिक राइनाइटिस (नाक की एलर्जी) के मरीजों पर आजमाया गया था, जहां यह सफल रही। अब वैज्ञानिकों ने इसे कमजोर इम्यूनिटी वाले चूहों पर टेस्ट किया। अध्ययन में पाया गया कि यह दवा शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है, खासकर जब इम्यूनिटी दवाओं या बीमारियों से कमजोर हो जाती है।
अध्ययन में क्या पाया गया?
शोधकर्ताओं ने चूहों को साइक्लोफॉस्फेमाइड नामक दवा देकर उनकी इम्यूनिटी को जानबूझकर कमजोर किया। फिर इम्बो की अलग-अलग डोज दी गई। परिणाम आश्चर्यजनक थे:
• न्यूट्रोफिल एक्टिवेशन: यह सफेद रक्त कोशिकाएं संक्रमण से लड़ती हैं। Iहने इनकी सक्रियता को सामान्य स्तर पर ला दिया।
• सेल्युलर और ह्यूमरल इम्यूनिटी: दवा ने शरीर की कोशिकाओं और एंटीबॉडी (जैसे IgG, IgM, IgA) को बढ़ाया, जो संक्रमण से बचाव करती हैं।
• साइटोकाइन्स का बैलेंस: TNF-α, IFN-γ, IL-1β जैसे तत्वों को नियंत्रित किया, जो सूजन और इम्यून रिस्पॉन्स को संतुलित रखते हैं।
• एलर्जी कंट्रोल: सेल कल्चर में इम्बो ने हिस्टामाइन रिलीज को रोका, जो एलर्जी के लक्षण जैसे छींक, खुजली और सूजन का मुख्य कारण है।
शोध के प्रमुख लेखक वैद्य बालेंदु प्रकाश ने बताया, “इम्बो आयुर्वेद की पुनर्नवा मंङूर नामक शास्त्रीय फॉर्मूला का संशोधित रूप है। यह पित्त और कफ को कम करती है, जो एलर्जी और सूजन की जड़ हैं। अध्ययन से साबित हुआ कि यह आधुनिक पैरामीटर्स पर भी खरी उतरती है।”
आयुर्वेद और विज्ञान का मेल
आयुर्वेद में ‘ओजस’ को इम्यूनिटी का आधार माना जाता है। इस अध्ययन ने त्रिकटु, त्रिफला, के साथ १८ जड़ी बूटियों के इम्यून-बूस्टिंग गुणों को सिद्ध किया, जो इम्बो में शामिल हैं। शोधकर्ता स्नेहा टी. सती और यशवंत के. राव ने कहा कि यह अध्ययन प्राचीन ज्ञान को वैज्ञानिक प्रमाण देता है, लेकिन दवा का सटीक मैकेनिज्म समझने के लिए और रिसर्च जरूरी है।
इम्बो को भारत में मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस मिल चुका है और यह बाजार में उपलब्ध है। पहले एक क्लिनिकल ट्रायल में इसे लेवोसेटिरिजिन और मॉन्टेलुकास्ट जैसी आधुनिक दवाओं से बेहतर पाया गया था।
क्या फायदे हो सकते हैं?
यह दवा कैंसर कीमोथेरेपी जैसे मामलों में इम्यूनिटी कम होने पर मददगार हो सकती है। एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए भी यह एक प्राकृतिक विकल्प है। हालांकि, डॉक्टर की सलाह के बिना इस्तेमाल न करें। शोधकर्ताओं का कहना है कि आगे मानव ट्रायल्स से इसके और फायदे सामने आएंगे।
यह अध्ययन आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाता है, जहां प्राकृतिक उपचार की मांग बढ़ रही है। अधिक जानकारी के लिए रिसर्च गेट या क्यूरियस जर्नल देखें।