आपसी सहमति से बेतालघाट में 12 ग्राम प्रधान निर्विरोध चुने गए

सुरेंद्र हालसी बेतालघाट। ब्लॉक की 75 ग्रामसभाओं में से 12 ग्रामसभाओं में ग्रामप्रधानों का निर्विरोध चयन एक अत्यंत सकारात्मक और प्रेरणादायक संदेश लेकर आया है। यह घटना केवल एक औपचारिक प्रक्रिया भर नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द, सामूहिक चेतना और ग्रामीण लोकतंत्र की सशक्त अभिव्यक्ति है। आज के समय में जब ग्रामीण क्षेत्रों में भी चुनाव लड़ने की प्रक्रिया अक्सर विवाद, मतभेद और व्यक्तिगत स्वार्थों से प्रभावित हो जाती है, ऐसे में 12 गांवों का आपसी सहमति से प्रधान चुनना निश्चित ही एक अनुकरणीय पहल है। यह उदाहरण दर्शाता है कि अगर समाज में आपसी विश्वास, संवाद और जन-जागरूकता का स्तर ऊँचा हो, तो न केवल समय और संसाधनों की बचत होती है, बल्कि विकास की राह भी सरल बनती है। इन निर्विरोध चुने गए ग्रामप्रधानों की खास बात यह है कि ग्रामसभाओं ने शिक्षित, जागरूक और समाज के प्रति समर्पित लोगों को चुना है। यह बदलाव दर्शाता है कि अब ग्रामीण समाज में नेतृत्व के मायने बदल रहे हैं — जाति, धर्म, बिरादरी से ऊपर उठकर लोग विकास, ईमानदारी और दूरदृष्टि को प्राथमिकता देने लगे हैं। यह पहल उन सभी ग्रामसभाओं और जनप्रतिनिधियों के लिए एक प्रेरणा है जहाँ अभी भी चुनाव आपसी टकराव और कटुता का माध्यम बनते हैं। बेतालघाट के इन गांवों ने यह सिद्ध कर दिया कि जहां विचारों में एकता होती है, वहां विकास का मार्ग स्वयं खुल जाता है। हम उम्मीद करते हैं कि ये निर्विरोध चुने गए ग्रामप्रधान न केवल अपने गांवों का सर्वांगीण विकास करेंगे, बल्कि बाकी गांवों को भी प्रेरित करेंगे कि राजनीति का उद्देश्य सेवा और समर्पण हो, न कि सत्ता और स्वार्थ। बेतालघाट ब्लॉक की यह पहल उत्तराखंड ही नहीं, पूरे देश के लिए एक शांतिपूर्ण, शिक्षित और समर्पित लोकतंत्र का आदर्श बन सकती है।

आपसी सहमति से बेतालघाट में 12 ग्राम प्रधान निर्विरोध चुने गए