समाज के लिए, मानवता के लिए, राष्ट्र के लिए लक्ष्य रखिए - उप राष्ट्रपति*

*अपने लक्ष्य को संकीर्ण मत बनाइए, आत्मकेंद्रित मत बनाइए। समाज के लिए, मानवता के लिए, राष्ट्र के लिए लक्ष्य रखिए - उप राष्ट्रपति* *मातृत्व-पितृत्व-पूरी मानवता के प्रति सबसे बड़ी जिम्मेदारी; बच्चों को अपनी राह स्वयं चुनने दीजिए- उप राष्ट्रपति* *भारत के लिए पिछला दशक विकास और प्रगति का दशक रहा है; वैश्विक व्यवस्था में एक नई पहचान स्थापित करने का दशक - उप राष्ट्रपति* *दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है; हमें वह परिवर्तन लाना है जिसकी आवश्यकता है, वह परिवर्तन गढ़ना है जो हम चाहते हैं - उप राष्ट्रपति* *सिर्फ दीवारों पर आदर्श वाक्य टांगने से कुछ नहीं होगा, उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा- उप राष्ट्रपति* *भारत, एक ऐसा अनूठा राष्ट्र जिसकी 5,000 वर्षों की सांस्कृतिक गहराई है, उसे बिना शर्त राष्ट्रवाद की आवश्यकता है - उप राष्ट्रपति* *उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने उत्तराखण्ड के नैनीताल स्थित शेरवुड कॉलेज की 156वीं स्थापना दिवस समारोह में संबोधन दिया* *राजभवन नैनीताल 27 जून, 2025* भारत के उप राष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ ने आज छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “अपने लक्ष्य को संकीर्ण मत बनाइए। आत्मकेंद्रित मत बनाइए। समाज, मानवता और राष्ट्र के लिए लक्ष्य रखिए। यदि आप इतिहास में झांकें, हजार वर्षों में हम किन्हें याद करते हैं? केवल उन्हें, जिन्होंने समाज के लिए कार्य किया, समाज के लिए जिया और अपना जीवन समाज को समर्पित किया।” नैनीताल के शेरवुड कॉलेज की 156वीं स्थापना दिवस पर विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आपको यह भावना आत्मसात करनी होगी - राष्ट्र सर्वाेपरि। हमें बिना शर्त, पूर्ण राष्ट्रवाद को स्वीकार करना होगा, क्योंकि भारत, जो एक अनूठा राष्ट्र है और जिसकी 5000 वर्षों की सांस्कृतिक विरासत है, यही उसकी न्यूनतम अपेक्षा है।” उन्होंने कहा, “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उसकी पहुंच और वहन करने की क्षमता किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए मूलभूत हैं, शिक्षा ईश्वर का वरदान है। अगर आपको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है, तो आप भाग्यशाली हैं। अगर आपको इस प्रकार की शिक्षा 1.4 अरब की जनसंख्या वाले देश में मिलती है, तो आप सच में विशेषाधिकार प्राप्त हैं। शिक्षा एक महान समतुल्य है। समानता चाहे कानून में हो या अन्यथा, उसे सर्वोत्तम रूप से केवल शिक्षा के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। शिक्षा असमानता, अन्याय पर कठोर प्रहार करती है, और यही आप जीवन भर करने वाले हैं।” अभिभावकों से अपील करते हुए उन्होंने कहा, “मातृत्व-पितृत्व वह सबसे बड़ी जिम्मेदारी है जो केवल आपके बच्चों के प्रति ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के प्रति है। इसलिए कृपया अपने बच्चों पर दबाव न डालें। यह मत तय करें कि उनका जीवन का उद्देश्य क्या होगा। यदि आप तय करेंगे, तो वे सब केवल पैसे या सत्ता के पीछे दौड़ेंगे। फिर वैज्ञानिक कहां से आएंगे? खगोलशास्त्री कहां से आएंगे? वे लोग कहां से आएंगे जो पूरे विश्व की दिशा तय करते हैं?” भारत की हाल की यात्रा और ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “इस सदी में हम केवल साक्षरता की बात नहीं कर रहे हैं। साक्षरता बहुत पहले भारत के लिए महत्वपूर्ण थी। भारत आज संभावनाओं वाला देश नहीं रहा। जैसे आपकी प्रतिभा को आपके शिक्षकगण आगे बढ़ा रहे हैं, वैसे ही भारत की संभावनाओं को प्रतिदिन व्यवहार में लाया जा रहा है। भारत एक उभरता हुआ राष्ट्र है। यह उभार निरंतर है। यह वृद्धि क्रमिक है। और यदि मैं पिछले दशक को देखूं, तो वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक प्रगति अभूतपूर्व रही है। अवसंरचना में अद्भुत वृद्धि हुई है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में हम सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। भारत के लिए पिछला दशक विकास का दशक रहा है, प्रगति का दशक रहा है, वैश्विक परिप्रेक्ष्य में एक नई जगह बनाने का दशक रहा है। और अब इसे आपको आगे ले जाना है - क्योंकि ‘विकसित भारत’ केवल हमारा सपना नहीं, हमारा लक्ष्य है।” संस्थान के पूर्व छात्रों की विरासत को रेखांकित करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा, “आप ऐसे स्थान पर हैं जहां दिग्गजों ने कदम रखे हैं। मेजर सोमनाथ शर्मा, भारत के पहले परमवीर चक्र विजेता - इस राष्ट्र का सर्वोच्च सैन्य सम्मान - यहीं के छात्र थे। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, 1971 की ऐतिहासिक विजय के शिल्पकार, जिन्होंने यह जीत राष्ट्र को दिलाई - वे भी यहीं से शिक्षित हुए। आप उस विरासत में जी रहे हैं - इसे कभी न भूलें। और अगर मैं अन्य क्षेत्रों की बात करूं, तो अनेक नाम हैं, लेकिन मैं एक नाम अवश्य लूंगा - अमिताभ बच्चन का, क्योंकि उनकी पत्नी जया बच्चन राज्यसभा की प्रतिष्ठित सदस्य हैं। अमिताभ बच्चन हमें हमेशा याद दिलाते हैं - कर्म ही पूजा है। कार्य करने की कोई उम्र नहीं होती - आपको निरंतर योगदान करते रहना है।” उन्होंने आगे कहा, “उनकी अद्भुत उपलब्धियां आपकी विरासत हैं, और विरासत का महत्व होता है। उनकी उपलब्धियां आपकी नींव हैं, लेकिन इससे भी अधिक - उनकी विरासत अब आपकी जिम्मेदारी है। आपको नए मानक स्थापित करने होंगे।” युवाओं को परिवर्तन के प्रेरक के रूप में कार्य करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “दुनिया भारत की ओर केवल उसके उत्थान के कारण नहीं, केवल उसके वैज्ञानिक विकास के कारण नहीं, केवल अधोसंरचना विकास के कारण नहीं देख रही है; वह भारत की ओर देख रही है क्योंकि हमारे पास एक अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश है। हमारे युवाओं की औसत आयु 28 वर्ष है। हम चीन और अमेरिका से 10 वर्ष छोटे हैं। और जब हम जनसंख्या की संरचना को देखते हैं, तो 65 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम उम्र के हैं। बालक-बालिकाओं, दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है, हमें परिवर्तन से पीछे नहीं रहना है; हमें वही परिवर्तन लाना है जिसकी आवश्यकता है, वही बदलाव गढ़ना है जो हम चाहते हैं, और भारत वह बदलाव चाहता है जो संपूर्ण पृथ्वी के लिए कल्याणकारी हो। इसलिए हमने जी-20 में विश्व को