आपदा पीड़ितों को राहत: सैंजी और बुरांसी गांव के प्रभावितों को आर्थिक सहायता प्रदान

पौड़ी, 07 अगस्त 2025 – उत्तराखंड में हालिया प्राकृतिक आपदा के चलते सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल पौड़ी जनपद के ग्राम सैंजी और बुरांसी के आपदा पीड़ित परिवारों को

आपदा पीड़ितों को राहत: सैंजी और बुरांसी गांव के प्रभावितों को आर्थिक सहायता प्रदान

पौड़ी, 07 अगस्त 2025 – उत्तराखंड में हालिया प्राकृतिक आपदा के चलते सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल पौड़ी जनपद के ग्राम सैंजी और बुरांसी के आपदा पीड़ित परिवारों को राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री ने स्वयं आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर हालात का जायजा लिया और प्रभावित परिवारों को आश्वासन दिया कि सरकार हर कदम पर उनके साथ खड़ी है।

सैंजी गांव के 15 परिवारों को आर्थिक सहायता

आपदा के कारण पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए सैंजी गांव के 15 परिवारों/भवन स्वामियों को राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) के अंतर्गत प्रति भवन स्वामी ₹1,30,000 की सहायता राशि प्रदान की गई। सहायता पाने वाले परिवारों में शामिल हैं:

प्रभा देवी

नीलम सिंह भण्डारी

भगत सिंह भण्डारी

पवन सिंह भण्डारी

विमला देवी

शाखा देवी

पवेली देवी

विमल सिंह

दीवान सिंह

रविन्द्र सिंह

जसवंत सिंह

गोपाल सिंह

मनोज सिंह

कृपाल सिंह

हेमराज सिंह

राज्य सरकार द्वारा यह सहायता चेक के माध्यम से प्रभावित परिवारों को उपलब्ध कराई गई, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

बुरांसी गांव में जनहानि पर मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद

बुरांसी गांव में आपदा के दौरान दो महिलाओं – आशा देवी पत्नी श्री प्रेम सिंह एवं विमला देवी पत्नी श्री बलवन्त सिंह – की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो गई। मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों को ₹2,00,000 की राशि प्रदान की गई। आशा देवी के परिजनों/वारिसों अनिल सिंह एवं शुगम सिंह, तथा विमला देवी के परिजनों विक्रम सिंह एवं दीपक सिंह को सहायता राशि दी गई।

इसके अतिरिक्त, बुरांसी गांव में केशर सिंह पुत्र अमर सिंह का आवासीय भवन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके लिए उन्हें ₹1,30,000 की आर्थिक सहायता चेक के माध्यम से प्रदान की गई।

सरकार की प्राथमिकता: राहत और पुनर्वास

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से प्रभावित प्रत्येक नागरिक की मदद करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राहत कार्यों में किसी प्रकार की देरी या लापरवाही न हो। साथ ही पुनर्वास की प्रक्रिया को तेज़ किया जाए ताकि प्रभावित परिवार जल्द सामान्य जीवन में लौट सकें।

मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राहत कार्यों के साथ-साथ भविष्य में आपदाओं से बचाव के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार की जा रही है। इसमें भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण, निर्माण मानकों की समीक्षा और वनाच्छादन जैसे उपाय शामिल हैं।