वैध बालेंदु प्रकाश को देवभूमि आइकॉन अवॉर्ड से नवाजा
वैध बालेंदु प्रकाश को देवभूमि आइकॉन अवॉर्ड से नवाजा
गदरपुर। प्रतिष्ठित देवभूमि आइकॉन अवॉर्ड इस वर्ष पद्मश्री वैध बालेंदु प्रकाश को प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान, विशेषकर पैंक्रियाटाइटिस जैसी जटिल बीमारी के सफल उपचार में दीर्घकालीन शोध और सेवा के लिए दिया गया।
देवभूमि आइकॉन अवॉर्ड कार्यक्रम के आयोजक प्रदीप फुटेला ने कहा कि वैध बालेंदु प्रकाश केवल किसी साधारण वैद्य की श्रेणी में नहीं आते। वे पूर्व राष्ट्रपति के मानद चिकित्सक रह चुके हैं, यानी देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्तियों ने भी उनकी चिकित्सा क्षमता पर भरोसा जताया है। आज की डिजिटल–डॉक्टर वाली पीढ़ी बीच में आयुर्वेद को कभी-कभी “पुरानी किताब” समझ लेती है, लेकिन वैध बालेंदु प्रकाश जैसे विशेषज्ञ इस धारणा को सीधा चैलेंज करते हैं। उनकी शोध आधारित चिकित्सा शैली और आधुनिक परीक्षणों के साथ आयुर्वेद को जोड़ने की पद्धति ने उन्हें अलग पहचान दी है। पैंक्रियाटाइटिस, जो आमतौर पर पैंक्रियाज में सूजन की वजह से होता है जो कि अल्ट्रा–मॉडर्न मेडिकल सिस्टम में भी गंभीर माना जाता है, उसका उपचार वैध बालेंदु प्रकाश वर्षों से आयुर्वेदिक पद्धति से कर रहे हैं। यही वजह है कि देश–विदेश से मरीज उनके पास उपचार के लिए आते हैं। यह कोई लोककथा नहीं, बल्कि उन मरीजों की वास्तविक कहानियां हैं जो आधुनिक चिकित्सा से उम्मीद टूटने के बाद उनके पास पहुंचे और राहत लेकर लौटे। यह चिकित्सा पद्धति उन्हें अपने पिता वैध चन्द्र प्रकाश जी से विरासत में मिली थी।
उल्लेखनीय है कि आज की दौड़ में जब लोग “क्विक पिल – क्विक रिजल्ट” मानसिकता में फंसे हैं, ऐसे समय में आयुर्वेद की वैज्ञानिकता और प्रभाव को स्वीकारना ही असली प्रगति है। वैध बालेंदु प्रकाश का सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि भारतीय चिकित्सा विज्ञान की वैज्ञानिक विरासत का सम्मान है। जिस तरह उत्तराखंड हिमालय की शुद्धता का प्रतीक है, उसी तरह वैध बालेंदु प्रकाश आयुर्वेद की प्रामाणिकता और धैर्यपूर्ण चिकित्सा का प्रतिनिधित्व करते हैं। युवाओं को भी संदेश दिया गया कि विरासत को पीछे नहीं फेंका जाता, बल्कि समझकर आगे बढ़ाया जाता है।भारत का चिकित्सा ज्ञान सिर्फ इतिहास की वस्तु नहीं, वर्तमान का विकल्प और भविष्य की संभावना है।




