Non Veg Milk: क्या है नॉन वेज दूध? इसके कारण क्यों अटकी है भारत और अमेरिका के बीच व्यापार की शर्तें

Non Veg Milk: अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिया है कि जल्द ही किसी देश के साथ शीघ्र ही नया व्यापार समझौता हो सकता है, और यह संभवतः यह देश भारत हो सकता है।

Non Veg Milk: क्या है नॉन वेज दूध? इसके कारण क्यों अटकी है भारत और अमेरिका के बीच व्यापार की शर्तें

Non Veg Milk: अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिया है कि जल्द ही किसी देश के साथ शीघ्र ही नया व्यापार समझौता हो सकता है, और यह संभवतः यह देश भारत हो सकता है। हालांकि इस राह में नॉन वेज दूध एक रोड़ा बना हुआ है। क्या है वेज और नॉन वेज दूध से जुड़ी जिच, समझिए विस्तार से।

अमेरिकी नॉन वेज दूध 

अमेरिकी टैरिफ की 1 अगस्त की नई समयसीमा से पहले भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की पूरजोर कोशिश हो रही है। हालांकि अमेरिकी डेयरी कारोबार के लिए भारत का बाजार खोलने का मसला फिलहाल इस समझौते की राह में रोड़ा बना हुआ है। कारण है अमेरिकी दूध के शाकाहारी या मांसाहारी होने से जुड़ा विवाद।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिया है कि जल्द ही किसी देश के साथ शीघ्र ही नया व्यापार समझौता हो सकता है, और यह संभवतः यह देश भारत हो सकता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने कहा, "हम एक और समझौता करने वाले हैं, शायद भारत के साथ।" उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी व्यापार वार्ता के एक और दौर की तैयारी कर रहे हैं।

नॉन-वेज दूध क्या है और यह भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के बीच क्यों बना रहा रोड़ा?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में चीजों को लेक चर्चा हो रही है उनमें डेयरी उद्योग सबसे अहम है। दोनों ही देश अमेरिका के नॉन वेज या कहें मांसाहारी दूध की भारत में बिक्री के मामले पर आम सहमति नहीं बना पा रहे हैं। जी हाँ, आपने बिलकुल सही पढ़ा! खबर है कि भारत और अमेरिका दूध पर कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि दोनों ही डेयरी क्षेत्र पर निर्भर हैं। भारत में यह क्षेत्र 1.4 अरब से ज्यादा लोगों का पेट भरता है और 8 करोड़ से ज्यादा नौकरियां देता है।

शाकाहारी और मांसाहारी दूध पर क्यों फंसा है पेंच

सामान्य शब्दों में, दूध को शत-प्रतिशत शाकाहारी माना जाता है, क्योंकि यह मुख्यतः किसी पशु (गाय, भैंस या बकरी आदि) का स्राव होता है, इसका मांस से कोई लेना देना नहीं होता। इसके अलावा, अंडे के विपरीत, दूध में कोई जैव कोशिकाएँ नहीं होतीं। इसी तर्क के आधार पर दूध को शाकाहारी माना जाता है। कम से कम भारत में तो ऐसा ही है। हालांकि, अमेरिका में नॉनवेज या मांसाहारी दूध भी मिलता है। दूध तब मांसाहारी हो जाता है जब उसे किसी ऐसे जानवर के  निकाला जाता है जिसे मांस, हड्डियां या खून या अन्य मांस से संबंधित पदार्थ खिलाए गए हों। सिएटल पोस्ट-इंटेलिजेंसर की 2004 की रिपोर्ट के अनुसार, "गायों को अभी भी ऐसा चारा खाने की अनुमति है जिसमें सूअर, मछली, मुर्गी, घोड़े, यहां तक कि बिल्ली या कुत्ते के अंग शामिल हो सकते हैं... और मवेशी प्रोटीन के लिए सूअर और घोड़े का खून खाना जारी रख सकते हैं, साथ ही मोटा करने के लिए मवेशियों के अंगों से प्राप्त वसा (टैलो) का भी सेवन कर सकते हैं।"

धार्मिक कारणों से भारत में अमेरिकी नाॅन वेज दूध की बिक्री मुश्किल

यह भारत के लिए एक समस्या है, जहां दूध का सेवन न केवल बेहतर स्वास्थ्य के लिए किया जाता है, बल्कि इसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी पवित्र माना जाता है। अमेरिका के विपरीत, भारत में गायों को पूर्णतः शाकाहारी आहार दिया जाता है। यही कारण है कि भारत मांसाहारी दूध भारत में बेचने देने से बच रहा है। भारत ने आग्रह किया है कि आयातित दूध का सख्त प्रमाणीकरण होना चाहिए, जिसमें यह बताया जाए कि यह उन गायों से आया है जिन्हें पशु-आधारित उत्पाद नहीं खिलाए गए।

जानकारों की नॉन वेज दूध के भारत में व्यापार पर क्या है राय?

नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीटीआरआई) के अजय श्रीवास्तव ने पीटीआई से कहा, "कल्पना कीजिए कि आप उस गाय के दूध से बना मक्खन खा रहे हैं जिसे दूसरी गाय का मांस और खून दिया गया हो। भारत शायद कभी इसकी इजाजत नहीं देगा।" इस बीच, अमेरिका ने भारत की इस मांग को "अनावश्यक व्यापार बाधा" बताया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने इस मामले को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में उठाया है और संकेत दिया है कि नवंबर 2024 से प्रभावी भारत के अद्यतन डेयरी प्रमाणन में ऐसी कोई चिंता नहीं है। अमेरिका से आयातित दूध के साथ इस समझौते का भारत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

अमेरिकी डेयरी के लिए भारतीय बाजार खोलने से हो सकता है 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान

एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत अमेरिकी डेयरी उत्पादों को अनुमति देता है तो उसे सालाना 1.03 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इससे पहले, अंतरराष्ट्रीय डेयरी खाद्य संघ (आईडीएफए) की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी डेयरी उद्योग अमेरिकी डेयरी व्यापार का एक नया "स्वर्ण युग" स्थापित करने के लिए तैयार है। अमेरिका डेयरी उद्योग का 2024 में निर्यात 8.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा - जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा कुल निर्यात मूल्य है। साल-दर-साल आधार पर इसमें 223 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है।

अमेरिका 145 देशों को 8 अरब डॉलर मूल्य के डेयरी उत्पाद करता है निर्यात

आईडीएफए ने आगे कहा कि अमेरिकी डेयरी उद्योग, जो अमेरिका में 32 लाख से ज़्यादा रोजगार पैदा करता है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 800 अरब डॉलर का योगदान देता है, ने नई प्रसंस्करण क्षमता में 8 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है जो अगले कुछ वर्षों में शुरू हो जाएगी। एक दशक पहले डेयरी उत्पादों का शुद्ध आयातक होने के बाद, अब अमेरिका 145 देशों को 8 अरब डॉलर मूल्य के डेयरी उत्पादों का निर्यात करता है। 2000 के दशक की शुरुआत से अमेरिकी डेयरी निर्यात लगभग तीन गुना बढ़ गया है।