गदरपुर: ठंडी नदी का जर्जर पुल बना हादसे को न्योता, प्रशासन मौन
गदरपुर: क्षेत्र की जीवनरेखा कहे जाने वाले ठंडी नदी पर बना 60 वर्ष पुराना पुल अब खुद एक जानलेवा खतरा बन चुका है। इस पुल की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो

गदरपुर: क्षेत्र की जीवनरेखा कहे जाने वाले ठंडी नदी पर बना 60 वर्ष पुराना पुल अब खुद एक जानलेवा खतरा बन चुका है। इस पुल की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। पुल के दोनों ओर की दीवारें टूट चुकी हैं, सीमेंट-क्रंक्रीट उखड़ चुका है और नीचे से लोहे की छड़ें झांक रही हैं। भारी वाहनों के गुजरते ही पुल कांपने लगता है और राहगीरों को डर सताता है कि न जाने कब यह ढह जाए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पुल से रोज़ाना हजारों वाहन गुजरते हैं, जिनमें स्कूल बसें, एंबुलेंस, ट्रक और दोपहिया वाहन शामिल हैं। इसके बावजूद शासन-प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। हैरानी की बात यह है कि यह पुल वही मार्ग है जिससे मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक और जिलाधिकारी जैसे वीआईपी भी नियमित रूप से गुजरते हैं, मगर फिर भी किसी ने इसकी सुध नहीं ली।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह पुल 1960 के दशक में बना था, जब क्षेत्र की आबादी कम और यातायात सीमित था। आज जनसंख्या भी बढ़ गई है और पुल पर दबाव भी कई गुना ज्यादा हो चुका है। इसके बावजूद न तो इसकी मरम्मत हुई और न ही वैकल्पिक पुल का निर्माण शुरू किया गया।
स्थानीय निवासी अशोक छाबड़ा ने बताया, "हम कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दे चुके हैं। बच्चों की स्कूल बसें रोज इसी रास्ते से गुजरती हैं। किसी दिन कोई बड़ी दुर्घटना हो गई तो इसका ज़िम्मेदार कौन होगा?"
कांग्रेस नेता राजेंद्र पाल सिंह ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि चुनाव के समय नेता वोट मांगने आते हैं, मगर जनता की बुनियादी समस्याओं पर कार्रवाई नहीं करते।
अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है? या फिर नेताओं को तभी जाग आएगी जब पुल ढहने के बाद खून-खराबा होगा?
स्थानीय जनता ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र इस पुल की मरम्मत या नए पुल का निर्माण शुरू नहीं हुआ, तो वे उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे। क्षेत्र में बढ़ती असुरक्षा और प्रशासन की निष्क्रियता ने लोगों के भीतर गहरा आक्रोश भर दिया है।