आयुर्वेदिक उपचार से पैंक्रियाटाइटिस के 2300 मरीजों का इलाज: पङाव चिकित्सा केन्द्र की शानदार यात्रा
देहरादून/रुद्रपुर, 14 अगस्त 2025: उत्तराखंड के पङाव - स्पेशियलिटी आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट सेंटर ने पैंक्रियाटाइटिस (अग्न्याशय की सूजन) के इलाज में एक अनुकरणीय उपलब्धि हासिल की है।

देहरादून/रुद्रपुर, 14 अगस्त 2025: उत्तराखंड के पङाव - स्पेशियलिटी आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट सेंटर ने पैंक्रियाटाइटिस (अग्न्याशय की सूजन) के इलाज में एक अनुकरणीय उपलब्धि हासिल की है। पिछले 28 वर्षों (जनवरी 1997 से जुलाई 2025 तक) में इस केंद्र ने 2300 मरीजों का आयुर्वेदिक उपचार से इलाज किया है, जो इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति की शक्ति को दर्शाता है। वैद्य बालेन्दु प्रकाश के दूरदर्शी नेतृत्व में यह सफर धैर्य, मेहनत और अनुशासन का एक मिसाल बन गया है।
साल-दर-साल बढ़ता प्रभाव
पङाव केन्द्र के आंकड़े बताते हैं कि शुरुआत में (1997-98) केवल 1-2 मरीज हर साल शामिल हुए, लेकिन जैसे-जैसे उपचार के सकारात्मक परिणाम सामने आए, मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 2015 में 24 मरीजों की भर्ती हुई, जो 2018 से 2025 तक हज़ारों में पहुंची, और हाल के वर्षों में पैंक्रियाटाइटिस की विभिन्न प्रकारो से पीड़ित लगभग 250 मरीजों ने प्रति वर्ष इलाज लिया। नीचे दिए गए ग्राफ से यह साफ पता चलता है कि कैसे यह यात्रा धीरे-धीरे लेकिन लगातार आगे बढ़ी।
पैंक्रियाटाइटिस के प्रकार
पङाव सेंटर ने विभिन्न प्रकार के पैंक्रियाटाइटिस के मामलों का इलाज किया है। डेटा के अनुसार, सबसे अधिक मामले क्रोनिक कैल्सिफिक पैंक्रियाटाइटिस (672) और क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस (591) के रहे, इसके बाद एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस (219), जेनेटिक/हereditary पैंक्रियाटाइटिस (184), और अन्य जटिल प्रकार जैसे प्सूडोसिस्ट या नेक्रोसिस के साथ पैंक्रियाटाइटिस शामिल हैं। नीचे दिए गए ग्राफ में इन सभी प्रकारों की विस्तृत जानकारी दी गई है।
“रोम एक दिन में नहीं बना” - एक दृष्टि का साकार होना
यह सफलता रातों-रात नहीं मिली। जैसा कि कहावत है, “रोम एक दिन में नहीं बना।” वैद्य बालेंदु प्रकाश, जिन्हें 1999 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया, ने अपने पिता वैद्य चंद्र प्रकाश की प्रेरणा से इस यात्रा की शुरुआत की। 40 वर्षों के रस-शास्त्र (खनिज आधारित आयुर्वेदिक उपचार) के अनुभव के साथ, उन्होंने पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ा। हर मरीज का विस्तृत रिकॉर्ड रखा गया—लक्षण, चिकित्सा इतिहास, और आहार की आदतें—जो इस केंद्र को शोध का केंद्र बनाता है।
डेटा का महत्व
इस मेहनत और वित्तीय समर्थन से एकत्रित डेटा अब खुद बोल रहा है। यह पैंक्रियाटाइटिस के कारणों (जैसे आनुवंशिकता, शराब, या पथरी) और इलाज की संभावनाओं को उजागर कर रहा है। पङाव ने आयुर्वेदिक प्रोटोकॉल पर शोध प्रकाशित किए हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि यह चिकित्सा पद्धति पुरानी बीमारियों के लिए प्रभावी हो सकती है।
एक मजबूत नींव
वैद्य बालेन्दु की दृष्टि और कार्रवाई ने पैंक्रियाटाइटिस उपचार में एक मजबूत नींव रखी है। यह केंद्र न केवल मरीजों का इलाज करता है, बल्कि उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक मॉडल भी प्रस्तुत करता है। अगर आप या आपके प्रियजन पैंक्रियाटाइटिस से जूझ रहे हैं, तो पादाव की यह यात्रा आपको आशा दे सकती है कि धैर्य और सही उपचार के साथ राहत संभव है।
स्रोत: पङाव- स्पेशियलिटी आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट सेंटर, देहरादून और रुद्रपुर