मेघखंडा' तलवार को राष्ट्रीय शस्त्र का दर्जा देने की मांग

पुणे : देश भर में एक अनोखी और महत्वपूर्ण मांग ने जोर पकड़ा है। विभिन्न समूहों और व्यक्तियों ने ऐतिहासिक महत्व वाली 'मेघखंडा' तलवार को भारत का राष्ट्रीय शस्त्र घोषित करने की अपील की है।

मेघखंडा' तलवार को राष्ट्रीय शस्त्र का दर्जा देने की मांग

ऐतिहासिक हथियार को सार्वजनिक करने की अपील

विजय कुमार हरीशचंद्र 

​पुणे : देश भर में एक अनोखी और महत्वपूर्ण मांग ने जोर पकड़ा है। विभिन्न समूहों और व्यक्तियों ने ऐतिहासिक महत्व वाली 'मेघखंडा' तलवार को भारत का राष्ट्रीय शस्त्र घोषित करने की अपील की है। यह तलवार न सिर्फ एक हथियार है, बल्कि यह पौराणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी गहरी जड़ें रखती है।

​अखिल भारतीय प्रजातंत्र सेना के अध्यक्ष संदीप जगताप और उनके समर्थकों जैसे सुनील महादे, सचिन पेले, महेश पेशे, इंद्रसेन अध्यापक और शिराज जगदले ने इस मांग को लेकर एक बड़ा अभियान शुरू किया है। उनकी मुख्य मांगें दो हैं: पहला, 'मेघखंडा' तलवार को राष्ट्रीय शस्त्र का दर्जा दिया जाए, और दूसरा, "मेंढभेद ब्यासी" नामक उस प्राचीन प्रथा को समाप्त किया जाए, जिसके तहत इस तलवार को एक बक्से में बंद करके रखा गया है।

​रिपोर्ट के अनुसार, यह तलवार 328 मन (यानी 13,120 किलोग्राम) वजनी और 42 किलोमीटर लंबी है। फिलहाल इसे आम जनता से छिपाकर रखा गया है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि इतनी बड़ी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सार्वजनिक दर्शन के लिए उपलब्ध कराना चाहिए ताकि लोग इसके महत्व को समझ सकें।

​तलवार के इतिहास पर गौर करें तो, यह मदन देव महाराज के पूर्वजों से संबंधित है। बताया जाता है कि 1766 में इसे पहली बार पूजा गया था। हर साल "मदन दशहरा" उत्सव के दौरान, विजयदशमी के अवसर पर, इस तलवार की पूजा की जाती है। यह उत्सव ज्ञान और वीरता का प्रतीक है। धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है, जहाँ इसे ज्ञान का प्रतीक और बुराई को नष्ट करने वाला बताया गया है। हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म में भी इसे समान रूप से पूजनीय माना जाता है।

​यह मांग केवल एक तलवार को राष्ट्रीय दर्जा देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की समृद्ध विरासत और वीरता के प्रतीक को सम्मान देने की बात है। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि इस तलवार को राष्ट्रीय पहचान मिले और यह भविष्य की पीढ़ियों को हमारे गौरवशाली इतिहास से जोड़ सके। वे उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी इस मांग पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस ऐतिहासिक धरोहर को लेकर क्या फैसला लेती है।