पहाड़ों में केले के पत्तों से सुधरते हैं पशुओं की सेहत, बढ़ती है दूध देने की क्षमता
पर्वतीय इलाकों में भूमि और जलवायु के कारण पारंपरिक फसलों जैसे धान, गेहूं, चना आदि की खेती करना बहुत हीं मुश्किल और चुनौतिपूर्ण होता है. यही कारण है कि इन क्षेत्रों के किसान के लिए पशुपालन

पर्वतीय इलाकों में भूमि और जलवायु के कारण पारंपरिक फसलों जैसे धान, गेहूं, चना आदि की खेती करना बहुत हीं मुश्किल और चुनौतिपूर्ण होता है. यही कारण है कि इन क्षेत्रों के किसान के लिए पशुपालन एक बेहतरीन विकल्प रहा है. पहाड़ी इलाकों में सिर्फ पेशा नहीं बल्कि परंपरा का भी अभिन्न अंग है. पहाड़ी इलाकों में आज भी लोग अपने देशी अंदाज में मवेशीयों के सेहत, खानपान और उत्पादन क्षमता का ख्याल रखते हैं. ये देशी नुस्खें न केवल आसान होते हैं बल्कि आज भी काफी असरदार साबित हो रहे हैं. एक ऐसा देसी नुस्खा दुधारु पशुओं के दूध देने की क्षमता को बढ़ाने में प्रयोग किया जाता है. आपको बता दें कि केले के मुलायम हरे पत्ते खिलाने से पशुओं को न केवल तंदुरुस्ती मिलती है बल्कि दूध उत्पादन की क्षमता को भी बेहतर करती है. ऐसे में किसान को केले के पत्तों के फायदे और उनके प्रयोग को जानना बेहद जरुरी है.
सेहत के लिए काफी असरदार हैं केले के पत्ते-
केले के पत्तों में सेहत के राज छुपे होते हैं. केले के पत्ते फाइबर, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट में भरपूर होते हैं. पशुओं के चारे में केले के पत्तों का नियमित प्रयोग पशुओं के पाचन क्रिया को मजबूत करते हैं और शरीर की गर्मी को संतुलन में रखते हैं. इससे पशुओं को पेट से जुड़ी बीमारियों से राहत मिलती है. इसके साथ ही पशुओं को खांसी, बुखार और दस्त में भी राहत देती है. खासकर गर्मियों में केले के पत्ते काफी असरदार होते हैं क्योंकि यह शरीर को ठंडक देने के साथ भूख भी बढ़ाता है.
दूध देने की क्षमता को बढ़ाता है-
कृषि पत्रकार अमनदिप बताते हैं कि जब केले के पत्ते रोज सुबह पशुओं को चारा के साथ मिला कर खिलाया जाए तो उनके स्वास्थ्य में सुधार होता है और ज्यादा दूध देते हैं. केले के पत्तों में कोई हानिकारक रासयनिक तत्व नहीं होते है. इसलिए इन्हें पशुओं को बिना किसी चिंता के दिया जा सकता है. हालांकि वे आगे बताते हैं कि इसके मात्रा का ख्याल रखना बहुत जरुरी है. दिन में एक दो बार सीमित मात्रा में देना काफी होता है. ज्यादा देने से पशुओं को नुकसान भी हो सकता है.
बेहतर, सस्ता और टिकाऊ फूड संप्लीमेंट्स है-
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किसान बताते हैं कि केले पत्तों के प्रयोग से पशु के सेहत में काफी सुधार होता है और पशु कम बीमार पड़ते हैं. यही कारण है कि पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है. आपको बता दें कि कई किसान पशु के सेहत और दूध देने की क्षमता को बढ़ाने के लिए दवाईयां और संप्लीमेंट्स का प्रयोग करते हैं ऐसे में केले पत्ते उनका मुकाबले बेहतर विकल्प है. इससे न तो पशुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है बल्की पशु के सेहत में सुधार के साथ साथ दूध देने की क्षमता का भी विकास होता है. दवाईयों और सप्लीमेंटस की तुलना में केले के पत्ते देसी, प्राकृतिक, टिकाऊ और किफायती फूड है. जानकार का मानना है कि यदि केले के पत्तों को वैज्ञानिक तरीके से परख कर इसका इस्तेमाल किया जाए तो यह पशुपालन के क्षेत्र में क्रांति साबित होगा.
अमनदीप सिंह
नई दिल्ली