पनीर का सच: स्वाद या सेहत का सौदा?
पनीर — सुनते ही ज़ुबान पर पानी आ जाता है। नॉर्थ इंडियन थाली हो, मोमोज की प्लेट हो, पिज़्ज़ा-बर्गर का टॉपिंग हो या 5-स्टार होटल की दावत, पनीर लगभग हर मेन्यू का हीरो है।

पनीर — सुनते ही ज़ुबान पर पानी आ जाता है। नॉर्थ इंडियन थाली हो, मोमोज की प्लेट हो, पिज़्ज़ा-बर्गर का टॉपिंग हो या 5-स्टार होटल की दावत, पनीर लगभग हर मेन्यू का हीरो है। हाईवे के ढाबे पर रुकिए तो ‘पनीर बटर मसाला’ या ‘शाही पनीर’ ज़रूर मिलेगा, और 5-स्टार में जाइए तो वेज सेक्शन में आधी से ज्यादा डिशेज़ पनीर की ही होंगी।
लेकिन क्या कभी सोचा है कि जिस पनीर को हम शान से खाते हैं, वह असली भी है या नहीं? या फिर हम सिर्फ दिखावे और स्वाद के नाम पर अपनी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं?
असली पनीर की लागत का गणित
चलिये, सबसे पहले समझते हैं कि असली पनीर बनता कैसे है और उसकी लागत कितनी आती है।
70 रुपये में 1 लीटर अमूल का फुल क्रीम दूध आता है।
1 लीटर दूध से लगभग 200 ग्राम पनीर बनता है।
यानी 1 किलो पनीर के लिए 5 लीटर दूध चाहिए।
5 लीटर दूध × ₹70 = ₹350 सिर्फ दूध की लागत।
अगर हम मान लें कि फैक्ट्री रेट पर दूध ₹50 लीटर भी मिल रहा है, तब भी:
5 लीटर × ₹50 = ₹250 सिर्फ दूध का खर्च।
लेबर, गैस, ईंधन = ₹60 और जोड़िए।
सप्लाई चेन, ट्रांसपोर्टेशन = ₹3-5 और जोड़िए।
कुल लागत: लगभग ₹315-350 प्रति किलो।
अब अगर दुकानदार 10% प्रॉफिट भी रखे तो यह पनीर आपको ₹345-₹385 किलो पड़ेगा।
तो सोचिए — अगर आपको बाजार में ₹200 या ₹250 किलो पनीर मिल रहा है, तो क्या दुकानदार घाटा खाकर आपको खिला रहा है? बिल्कुल नहीं। इसका सीधा मतलब है कि वह पनीर असली नहीं है।
नकली पनीर का खेल
असली पनीर के मुकाबले नकली पनीर बनाना बेहद सस्ता है। बाजार में मुख्य रूप से तीन तरह का नकली पनीर मिलता है:
एनालॉग पनीर
दूध के पाउडर, पाम ऑयल, डालडा, अरारोट, और स्टेबलाइज़र से बना।
टेक्सचर में असली जैसा, लेकिन पोषण शून्य।
पाम ऑयल और डालडा वही फैट हैं जो आपकी आर्टरी में जमकर ब्लॉकेज बनाते हैं।
यूरिया पनीर
यूरिया, डिटर्जेंट और मैदा के घोल से तैयार।
दिखने और काटने में पनीर जैसा, लेकिन यह आपके किडनी और लीवर को सीधा नुकसान करता है।
लंबे समय तक खाने पर घातक बीमारियों की गारंटी।
मिक्स पनीर (होटल स्पेशल)
थोड़ी मात्रा में असली दूध, बाकी पाउडर, वनस्पति फैट और केमिकल्स का मिश्रण।
यह अक्सर 5-स्टार होटल से लेकर ढाबों तक इस्तेमाल होता है क्योंकि लागत कम और मुनाफा ज्यादा।
आंकड़े झूठ नहीं बोलते
भारत में रोज़ाना लगभग 64 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है। अगर इस सारा दूध पनीर बनाने में लगा दें, तो इससे करीब 1.2 करोड़ किलो पनीर बन सकता है।
लेकिन देश में पनीर की खपत लगभग 1.5 करोड़ किलो प्रतिदिन है। यानी 30 लाख किलो पनीर का ‘जादुई’ उत्पादन हर दिन हो रहा है, जो असली दूध से बनना नामुमकिन है। यह अंतर नकली पनीर से पूरा किया जाता है।
अनुमान है कि 80% से ज्यादा पनीर नकली है — और यह सिर्फ छोटे कस्बों में नहीं, बल्कि महानगरों के बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और होटलों में भी।
क्यों बढ़ रही हैं किडनी और लीवर की बीमारियां?
पिछले 30 साल में लीवर और किडनी से जुड़ी बीमारियों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। डॉक्टर और शोधकर्ता मानते हैं कि इसका एक बड़ा कारण नकली डेयरी उत्पाद भी हैं — खासकर नकली पनीर, नकली दूध, और नकली घी।
यूरिया और पाम ऑयल जैसे घटक धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर:
किडनी फेलियर
लिवर सिरोसिस
हार्ट ब्लॉकेज
हार्मोनल असंतुलन
और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं।
कानून और सज़ा — मज़ाक या सुरक्षा?
भारत में नकली डेयरी उत्पाद बनाने पर पकड़े जाने पर अक्सर मामूली जुर्माना या कुछ महीनों की सज़ा होती है। कई बार तो कोर्ट में केस सालों चलता है और आरोपी आराम से अपना धंधा जारी रखते हैं।
इसका नतीजा यह है कि:
लोगों को पता है कि पकड़े जाने पर बड़ा नुकसान नहीं होगा।
जो मुनाफा नकली पनीर बेचकर होता है, वह किसी भी जुर्माने से कई गुना ज्यादा है।
कैसे पहचानें असली और नकली पनीर?
कच्चा चखकर देखें – असली पनीर हल्का मीठा होता है, नकली पनीर में अजीब कड़वाहट या साबुन जैसा स्वाद आ सकता है।
गर्म पानी टेस्ट – पनीर का टुकड़ा गर्म पानी में डालें; नकली पनीर टूटकर बिखर सकता है या चिपचिपा हो सकता है।
तेल का धब्बा – गर्म तवे पर रखने पर नकली पनीर से तेल/घी जैसा रिस सकता है।
कच्चा पनीर मांगें – होटल में पनीर डिश ऑर्डर करते समय कच्चा पनीर दिखाने को कहें। बहाने मिलने पर समझ जाइए।
जागरूकता ही बचाव है
जब तक सरकार और कानून इस मामले को गंभीरता से नहीं लेंगे, तब तक केवल पब्लिक अवेयरनेस ही हथियार है।
घर पर पनीर बनाना सीखें — इससे आपको असली स्वाद भी मिलेगा और भरोसा भी।
सस्ते और संदिग्ध पनीर से बचें — ₹250 किलो से कम कीमत का पनीर खरीदते समय सवाल पूछें।
जानकारी फैलाएं — दोस्तों, रिश्तेदारों और सोशल मीडिया पर यह सच शेयर करें।
होटल और रेस्टोरेंट में सवाल पूछें — जब ग्राहक सवाल पूछेंगे, तभी सप्लाई चेन में बदलाव होगा।
पनीर सिर्फ एक फूड आइटम नहीं, बल्कि भारत की थाली का अहम हिस्सा है। लेकिन यही पनीर अब सेहत का दुश्मन बनता जा रहा है। स्वाद और सस्ते दाम के लालच में हम नकली पनीर खा रहे हैं, जो हमें धीरे-धीरे बीमार कर रहा है।
अगर हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को बचाना है, तो हमें अपनी प्लेट में क्या आ रहा है, यह जानना होगा।
अगली बार जब आप पनीर बटर मसाला, पनीर टिक्का या पनीर मोमोज खाएं, तो खुद से पूछिए —
"क्या मैं असली पनीर खा रहा हूं या सिर्फ नकली स्वाद?"
पपद्मश्री वैध बालेंदु प्रकाश
पड़ाव मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल
रतनपुरा ,गदरपुर