कला मंदिर में सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को मिला जीवन

काशीपुर,:  कला मंदिर, जो कला, संस्कृति और सामाजिक सेवा को समर्पित एक अनोखा गैर-लाभकारी केंद्र है, का विधिवत उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्तियों

कला मंदिर में सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को मिला जीवन

काशीपुर,:  कला मंदिर, जो कला, संस्कृति और सामाजिक सेवा को समर्पित एक अनोखा गैर-लाभकारी केंद्र है, का विधिवत उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्तियों, कलाकारों और समाज के प्रतिष्ठित सदस्यों की उपस्थिति रही। यह शुभारंभ एक ऐसे स्थल की शुरुआत का प्रतीक बना, जो भक्ति, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और सामुदायिक सशक्तिकरण का संगम है।
समारोह में इस्कॉन दिल्ली एनसीआर के प्रतिनिधियों, आध्यात्मिक आचार्यों और सांस्कृतिक जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया। इस अवसर की विशेष शोभा हिज होलीनेस कवि चंद्र स्वामी – सदस्य, इस्कॉन जीबीसी कार्यकारी समिति, इस्कॉन विधि समिति और संशोधन समिति – की पावन उपस्थिति से बढ़ गई, जिन्होंने उद्घाटन को अपने आशीर्वाद से आलोकित किया।

इस अवसर पर श्री संजय प्रकाश अग्रवाल, ट्रस्टी – कला मंदिर ने कहा:"कला मंदिर केवल एक भवन नहीं है—यह प्रतिभा, संस्कृति और करुणा का जीवंत मंच है। हमारा उद्देश्य कलाकारों को मंच देना और उन लोगों के लिए एक आश्रय बनाना है, जो सहयोग, शिक्षा या आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं।"
इसमें जोड़ते हुए सुंदर गोपाल जी – अध्यक्ष, इस्कॉन उत्तरी भारत प्रादेशिक परिषद एवं अध्यक्ष, इस्कॉन भारत यूथ काउंसिल – ने कहा:"कला मंदिर एक ऐसे प्रकाशस्तंभ के रूप में खड़ा होगा जहाँ आध्यात्मिकता और संस्कृति का संगम होगा, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। यह देखकर हृदय को प्रसन्नता होती है कि इस प्रकार की पहलें मूल्यों, प्रतिभा और भक्ति को साथ लेकर चल रही हैं।"
सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं के लिए पूर्ण सुसज्जित 
शांत और पवित्र राधा कृष्ण मंदिर, जिसका उद्घाटन दिन पारंपरिक दीपों से आलोकित हुआ
व्यावसायिक प्रशिक्षण, महिला एवं बाल कल्याण कार्यक्रमों और कला-आधारित शिक्षा के लिए समर्पित आधारभूत ढाँचा
कार्यक्रम में स्थानीय समुदाय, कलाकारों और युवाओं की बड़ी संख्या में सहभागिता रही, जिसने काशीपुर की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर के एक नए अध्याय की शुरुआत की। आगे चलकर कला मंदिर संगीत, नृत्य, कला, शिक्षा और स्वास्थ्य पर केंद्रित कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन करेगा, जिससे यह उत्सव और सेवा का समावेशी स्थल बना रहेगा।
कला मंदिर छिपी हुई प्रतिभाओं को पोषित करने और ऐसा मंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहाँ कला उद्देश्य से मिलती है और परंपरा परिवर्तन से।