वाजपेयी प्रतिमा लोकार्पण में विधायक का 'अपमान'

​गदरपुर। उधम सिंह नगर की राजनीति में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी अपने चरम पर पहुंच गई है। गदरपुर क्षेत्र के गुलरभोज में पूर्व प्रधानमंत्री भारत

वाजपेयी प्रतिमा लोकार्पण में विधायक का 'अपमान'

लोकार्पण कार्यक्रम में विधायक की गैरमौजूदगी से उठे सवाल

​गदरपुर। उधम सिंह नगर की राजनीति में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी अपने चरम पर पहुंच गई है। गदरपुर क्षेत्र के गुलरभोज में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा के लोकार्पण कार्यक्रम को क्षेत्रीय विधायक अरविन्द पांडेय को अपमानित करने के मंच के तौर पर इस्तेमाल किया गया। विधायक की गैरमौजूदगी ने न केवल कई सवाल खड़े किए, बल्कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जुड़े एक बड़े राजनीतिक खेल की आशंका भी जताई जा रही है।

​यह पूरा घटनाक्रम गुलरभोज नगर पंचायत क्षेत्र का है, जहां राज्य वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि से नगर पंचायत द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई की प्रतिमा स्थापित की गई। लोकार्पण के लिए सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री अजय भट्ट को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। विडंबना देखिए, यह प्रतिमा विधायक अरविन्द पांडेय के आवास के ठीक सामने स्थापित की गई थी, लेकिन स्थानीय विधायक होने के बावजूद उन्हें इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम से दूर रखा गया। उनकी अनुपस्थिति पार्टी के भीतर की कड़वाहट को सार्वजनिक करने के लिए काफी थी। उल्लेखनीय है कि गुलरभोज नगर पंचायत चुनाव में विधायक अरविन्द पांडेय ने अध्यक्ष चुने गए सतीश चुग का जमकर विरोध किया था लेकिन वह फिर भी विजयी घोषित हुए थे। अध्यक्ष सतीश चुग अब विधायक अरविन्द पांडेय को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते, उन्हीं के द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। गुटबाजी की पराकाष्ठा तो तब देखने को मिली जब लोकार्पण के लिए लगाए गए शिलापट पर भी विधायक अरविन्द पांडेय का नाम जानबूझकर सबसे निचले पायदान पर रखा गया। शिलापट पर मुख्य अतिथि सांसद अजय भट्ट , ब्लॉक प्रमुख ज्योति ग्रोवर, प्रदेश मंत्री गुंजन सुखीजा तथा नगर पंचायत अध्यक्ष सतीश चुग का नाम प्रमुखता से दर्ज हैं, जबकि विधायक पांडेय का नाम 'एक तरीके से उन्हें अपमानित करने' की नीयत से अंत में लिखा गया। यह संदेश साफ है कि पार्टी के भीतर एक ताकतवर धड़ा उन्हें किनारे करने पर तुला है।

​राजनीतिक गलियारों में यह बात जगजाहिर है कि सांसद अजय भट्ट और विधायक अरविन्द पांडेय के बीच पहले से ही काफी कड़वाहट व्याप्त है। इस आग में घी डालने का काम भाजपा के प्रदेश मंत्री गुंजन सुखीजा कर रहे हैं, जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बेहद करीबी माने जाते हैं। सूत्रों का दावा है कि यह सारा 'खेल' मुख्यमंत्री के इशारे पर ही रचा जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य अरविन्द पांडेय का टिकट आगामी चुनावों में कटवाना है। सुखीजा लगातार विधायक के विरुद्ध एक मजबूत लॉबी तैयार कर रहे हैं।

​गदरपुर की इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा में सत्ता और वर्चस्व की लड़ाई खुले मंच पर आ चुकी है। यदि प्रदेश नेतृत्व में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता है, तो वर्षों से राजनीति में सक्रिय और पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले विधायक अरविन्द पांडेय को आने वाले समय में गंभीर राजनीतिक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यह घटना सिर्फ एक लोकार्पण नहीं, बल्कि पार्टी की अंदरूनी फूट और गुटबाजी का सार्वजनिक प्रदर्शन है। ब्लॉक प्रमुख चुनावों में भी उनकी गुटबाजी सामने आ चुकी है।