खंडोबा देवता के दशहरा उत्सव में पारंपरिक कसरत का आयोजन

महाराष्ट्र राज्य के ख्यातनाम ग्राम देवता श्री खंडोबा के दशहरा उत्सव का आयोजन पूरे हर्ष और उल्लास के साथ किया गया। परंपरागत रूप से यह उत्सव कई

खंडोबा देवता के दशहरा उत्सव में पारंपरिक कसरत का आयोजन

भक्तों ने तलवार संरक्षण पर जताई नाराजगी

महाराष्ट्र राज्य के ख्यातनाम ग्राम देवता श्री खंडोबा के दशहरा उत्सव का आयोजन पूरे हर्ष और उल्लास के साथ किया गया। परंपरागत रूप से यह उत्सव कई दिनों तक चलता है और दूसरे दिन आयोजित की जाने वाली कसरत स्पर्धा इसका मुख्य आकर्षण मानी जाती है। इस स्पर्धा में स्थानीय युवक भाग लेकर अपनी पारंपरिक शक्ति, साहस और श्रद्धा का प्रदर्शन करते हैं। यह परंपरा लगभग तीन सौ वर्षों से निरंतर चली आ रही है और आज भी उतनी ही आस्था से निभाई जाती है।

इस आयोजन में विशेष महत्व उस ऐतिहासिक तलवार का है, जिसका प्रयोग पूर्वजों के समय से इस अवसर पर किया जाता रहा है। यह तलवार स्थानीय इतिहास और धार्मिक आस्था की प्रतीक मानी जाती है। गांव के वरिष्ठ नागरिक बताते हैं कि यह शस्त्र पीढ़ियों से सुरक्षित रखा गया है और इसका उपयोग केवल दशहरा उत्सव में ही किया जाता है।

हालांकि, इस वर्ष श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों ने देवस्थान समिति के प्रति नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि इतनी पुरानी और मूल्यवान तलवार को अब भी पत्रे की पेटी में रखा गया है, जबकि उसे मेघडंबरी (कांच के केस) में सुरक्षित रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए। भक्तों का मानना है कि यह तलवार न केवल धार्मिक भावना का केंद्र है, बल्कि यह स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर भी है, इसलिए इसके संरक्षण के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।

ग्रामवासियों ने मांग की है कि देवस्थान प्रशासन इस अनमोल धरोहर को उचित सुरक्षा प्रदान करे ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस परंपरा और विरासत से परिचित रह सकें।