पंचायत चुनाव में बदलते समीकरण: दबाव की राजनीति के बीच कश्मीर काम्बोज की नई चाल
गदरपुर (ऊधम सिंह नगर)। गदरपुर क्षेत्र में पंचायत चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। हर दिन नए मोड़ सामने आ रहे हैं और यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह चुनाव केवल सीटों की लड़ाई नहीं, बल्कि प्रभाव और दबाव की राजनीति बन चुका है। ब्लॉक प्रमुख पद के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कश्मीर काम्बोज को शुरू से ही एक मजबूत दावेदार माना जा रहा था। उनके जनाधार, सांगठनिक पकड़ और वर्षों के राजनीतिक अनुभव के चलते विपक्ष को कड़ी चुनौती मिलती दिख रही थी। लेकिन भाजपा ने यहां रणनीतिक दांव चलते हुए उनकी संभावनाओं को झटका दिया। सूत्रों के अनुसार, भाजपा द्वारा सत्ता का प्रभाव इस्तेमाल करते हुए उस सीट को आरक्षित करवा दिया गया, जिस पर काम्बोज का सबसे मज़बूत पकड़ थी। यह उनके लिए एक अप्रत्याशित और गहरा झटका था। जब उन्होंने दूसरी सीट से मैदान में उतरने का मन बनाया, तो भाजपा ने एक बार फिर दबाव की राजनीति अपनाई। विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि काम्बोज पर भाजपा की ओर से यह दबाव डाला गया कि वे ब्लॉक प्रमुख पद की भाजपा प्रत्याशी ज्योति ग्रोवर का समर्थन करें। कहा जा रहा है कि उन्हें उनके प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की धमकी भी दी गई, जिससे काम्बोज को अंततः भाजपा का समर्थन करना पड़ा। लेकिन यहीं से गदरपुर की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। कश्मीर काम्बोज ने अपनी पत्नी रेखा रानी को गदरपुर से जिला पंचायत सदस्य पद पर चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा कर दी है। यह कदम भाजपा के लिए नई चुनौती के रूप में देखा जा रहा है और क्षेत्र में चर्चाओं का विषय बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गदरपुर की पूरी चुनावी फिजा अब भी कश्मीर काम्बोज के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। उन्होंने एक ओर दबाव के आगे झुककर समर्थक राजनीति अपनाई, तो दूसरी ओर अपनी प्रभावशाली वापसी की भी योजना बना ली है। अब देखना यह है कि जनता इस नई चाल को किस रूप में देखती है और पंचायत चुनाव में अगला समीकरण क्या आकार लेता है।
