ठगी का नया खेल : 32 अरब के स्कैम का नेटवर्क दुबई से ऑपरेट

भारत के कई राज्यों में हज़ारों लोगों को चूना लगाने के बाद भी एक बड़ा ठगी नेटवर्क अब तक बेख़ौफ़ सक्रिय है। जांच एजेंसियों के छापों और गिरफ्तारी के बावजूद इसका

ठगी का नया खेल : 32 अरब के स्कैम का नेटवर्क दुबई से ऑपरेट

✍ रिपोर्ट – विशेष जांच डेस्क

भारत के कई राज्यों में हज़ारों लोगों को चूना लगाने के बाद भी एक बड़ा ठगी नेटवर्क अब तक बेख़ौफ़ सक्रिय है। जांच एजेंसियों के छापों और गिरफ्तारी के बावजूद इसका सरगना दुबई में बैठकर नया जाल बुन रहा है। हाल ही में सामने आई तस्वीरों ने इस नेटवर्क की पोल खोल दी है।

ठगी का पैटर्न : गेमिंग ऐप से करोड़ों की लूट
इस गैंग ने मिलियन गेम ऐप जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किए।
लोगों को लालच दिया गया – “छोटा निवेश करो और रोज़ाना बड़ा मुनाफ़ा पाओ।”
शुरुआती दिनों में कुछ निवेशकों को पैसा वापस करके भरोसा जमाया गया।
जब हज़ारों लोग इसमें फँस गए, अचानक ऐप बंद कर दिया गया।
सिर्फ इसी तरीके से करीब 32 अरब रुपए की ठगी सामने आई है।
दुबई मीटिंग का खुलासा
दुबई में हाल ही में एक गुप्त बैठक हुई, जिसकी तस्वीरें लीक हुईं।
इन तस्वीरों में करीब 50 से ज्यादा एजेंट एक हॉल में ट्रेनिंग लेते दिख रहे हैं।
ठगी का मास्टरमाइंड लक्ष्मण चौधरी खुद इन एजेंटों को गाइड कर रहा था।
ट्रेनिंग का मकसद:
फर्जी कॉल सेंटर कैसे चलाना है
डिजिटल एसेट (क्रिप्टो) का इस्तेमाल कैसे करना है
लोगों को झांसे में डालने की नई तरकीबें
एजेंसियों की चुनौती
भारतीय जांच एजेंसियों ने लक्ष्मण चौधरी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया है।
लेकिन वह दुबई और वियतनाम जैसे देशों में पनाह ले रहा है, जिससे गिरफ्तारी मुश्किल हो रही है।
यह गैंग हर बार अपना ठिकाना और तरीका बदल लेता है।
कॉल सेंटर से लेकर क्रिप्टो तक का जाल
ठग पहले भारत में कॉल सेंटर खोलते हैं।
इन्हें “कस्टमर सपोर्ट” या “इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंट” का नाम दिया जाता है।
यहीं से लोगों से डाटा जुटाकर उन्हें ठगी के झांसे में फंसाया जाता है।
पैसों का लेन-देन सीधे क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल वॉलेट्स से होता है, ताकि ट्रैक करना लगभग नामुमकिन हो।
अगला ठिकाना वियतनाम?
दुबई बैठक में चर्चा हुई कि आगे का ऑपरेशन वियतनाम शिफ्ट किया जाएगा।
इसका कारण है वहां का ढीला साइबर कंट्रोल और भारतीय एजेंसियों से दूरी।
यानी, नेटवर्क पर दबाव बढ़ेगा तो वह फिर किसी और देश में शिफ्ट हो जाएगा।
सावधान रहें – यही सबसे बड़ा हथियार
कम समय में ज्यादा मुनाफे का वादा करने वाले ऐप्स/स्कीमों से बचें।
किसी भी अनजान लिंक या कॉल पर निजी जानकारी न दें।
निवेश करने से पहले कंपनी की असली रजिस्ट्री और लाइसेंस की जांच ज़रूर करें।
यह ठगी नेटवर्क कोई सामान्य गिरोह नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय माफिया है, जो लगातार अपना चेहरा और ठिकाना बदल रहा है। जांच एजेंसियों के लिए यह चुनौती है, और आम जनता के लिए सबक – “लालच सबसे बड़ा जाल है।”