गदरपुर में अवैध खनन को लेकर सियासी संग्राम, भाजपा में बढ़ी रार

गदरपुर। उधमसिंहनगर जनपद में अवैध खनन का मुद्दा एक बार फिर सियासी गरमा गया है। भाजपा के कद्दावर विधायक अरविन्द पांडेय द्वारा खनन को लेकर लगाए गए आरोपों ने पार्टी के भीतर ही

गदरपुर में अवैध खनन को लेकर सियासी संग्राम, भाजपा में बढ़ी रार

गदरपुर। उधमसिंहनगर जनपद में अवैध खनन का मुद्दा एक बार फिर सियासी गरमा गया है। भाजपा के कद्दावर विधायक अरविन्द पांडेय द्वारा खनन को लेकर लगाए गए आरोपों ने पार्टी के भीतर ही हलचल मचा दी है। पांडेय ने हाल ही में खनन माफिया और उनकी राजनीतिक सरपरस्ती पर गंभीर सवाल उठाए थे।

विधायक के इन आरोपों के जवाब में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समर्थक नेताओं ने मोर्चा खोलते हुए पांडेय के रुख को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। दिनेशपुर, गूलरभोज और गदरपुर के पालिकाध्यक्षों ने एक सुर में कहा कि विधायक द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यों से परे हैं और पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचाने वाले हैं।

दिनेशपुर से पालिकाध्यक्ष काबल सिंह ने कहा कि खनन को लेकर जो बातें उठाई जा रही हैं, वे बेबुनियाद हैं। "वास्तविकता यह है कि विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए सरकार ईमानदारी से काम कर रही है। कुछ लोग जानबूझकर अफवाहें फैलाकर माहौल खराब करना चाहते हैं," उन्होंने कहा कि विधायक खुद अवैध खनन में लिप्त रहे हैं लेकिन अब सरकार के सख्त रवैए से खनन पर रोक लगा दी गई है इससे विधायक बौखला गए हैं।

गूलरभोज पालिकाध्यक्ष सतीश चुग ने भी विधायक के आरोपों को गलत ठहराते हुए कहा कि खनन की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "यह सब आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है ताकि संगठन में भ्रम की स्थिति पैदा हो।"

गदरपुर के पालिकाध्यक्ष मनोज गुंबर ने तो विधायक अरविन्द पांडेय को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सार्वजनिक मंचों पर आरोप-प्रत्यारोप की बजाय आपसी संवाद से हल निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायक अरविन्द पांडेय के आरोप बेबुनियाद हैं।

इस बीच अरविन्द पांडेय समर्थकों का कहना है कि विधायक पर लगाए जा रहे आरोप दरअसल विरोधी गुट की साजिश का हिस्सा हैं। उनका आरोप है कि विधानसभा चुनावों की आहट के साथ ही पांडेय की लोकप्रियता को कमजोर करने के लिए विरोधी गुट हवा बना रहा है।

खनन के मुद्दे पर भाजपा नेताओं के बीच बढ़ती खींचतान ने न केवल स्थानीय राजनीति को गर्मा दिया है बल्कि संगठनात्मक एकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह विवाद और तूल पकड़ सकता है।