किसान भाईयों का परिश्रम और त्याग ही हमारी सच्ची पूंजी है, और आपका पसीना ही हमारी ताकत है

पंतनगर, 07 नवंबर 2025(सू0 वि0)- राज्य के रजत जयंती उत्सव के अवसर पर पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में वृह्द कृषक सम्मेलन आयोजित हुआ। सम्मेलन का शुभारम्भ सूबे

किसान भाईयों का परिश्रम और त्याग ही हमारी सच्ची पूंजी है, और आपका पसीना ही हमारी ताकत है

* किसानों का परिश्रम, सरकार की नीतियां मिलकर हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ, समृद्ध और स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करेंगे ।

पंतनगर, 07 नवंबर 2025(सू0 वि0)- राज्य के रजत जयंती उत्सव के अवसर पर पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में वृह्द कृषक सम्मेलन आयोजित हुआ। सम्मेलन का शुभारम्भ सूबे के मा0 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कृषि मंत्री गणेश जोशी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में कृषि, उद्यान, दुग्ध, मत्स्य, सहकारिता के प्रगतिशील कृषक बन्धुओं व लखपति दीदीयों को मुख्यमंत्री द्वारा प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र व अंगवस्त्र भेटकर सम्मानित किया गया।

      मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आये सभी किसानों को उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती पर्व की हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि आप सभी किसान भाईयों का परिश्रम और त्याग ही हमारी सच्ची पूंजी है, और आपका पसीना ही हमारी ताकत है। उन्होंने उत्तराखंड निर्माण के सपने को साकार करने में अपना योगदान देने वाले और बीते 25 वर्षों में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने में अपना अतुलनीय योगदान देने वाले किसानो को नमन किया। उन्होंने कहा कि आज का ये सम्मेलन केवल कृषि संबंधी योजनाओं की चर्चा हेतु एक आम कार्यकम नहीं है, बल्कि उत्तराखंड के हमारे सभी किसान भाईयों और उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का भी अवसर है। उन्होंने कहा कि देश के संतुलित विकास के लिए ये अत्यंत आवश्यक है कि हमारे किसान भाइयों की परेशानियां कम हों, वे सशक्त बनें क्योंकि, किसानों के सशक्तिकरण के बिना राष्ट्र का सशक्तिकरण अधूरा है।उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का विकसित भारत के निर्माण का सपना भी तभी साकार हो सकता है, जब हमारा किसान विकसित हो। हम सभी जानते हैं कि भारत आदि काल से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है।

      मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती-किसानी के इर्द-गिर्द ही हमारा समाज विकसित हुआ, हमारी परम्पराएं पोषित हुईं और हमारे पर्व व त्योहार निर्धारित हुए। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में भी लिखा है कि कृषि संपत्ति और मेधा प्रदान करती है और कृषि ही मानव जीवन का आधार है। इसलिए आज हमारे करोड़ों किसान इसी विचार को आधार मानकर मानवता की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरे लिए तो खेती करना देव उपासना करने जैसा है, क्योंकि मेरे पिता एक जवान भी थे और एक किसान भी थे। खेती द्वारा, लोगों का पेट भर, जो संतुष्टि प्राप्त होती है, वह अलौकिक है, उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती। यही कारण है कि मैं, आज भी खेती से जुड़ा हूं और जब भी मुझे समय मिलता है तो मैं, अपने गांव में खेती करने भी जाता हूं। उन्होंने कहा कि खेती से मुझे आत्मिक शांति तो मिलती ही है साथ ही ये मुझे अपनी जमीन से भी जोड़े रखती है। माटी से ये जुड़ाव मुझे सदैव मेरे अस्तित्व, मेरे वांछित कर्म और मेरे कर्तव्य का बोध कराता है। ये मेरा सौभाग्य रहा कि मैं, उस विचारधारा और उस राजनीतिक दल से जुड़ा हूं जिसके लिए किसान सदैव प्राथमिकता रहा।

       मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से किसान हितैषी रही है और वर्ष 2014 के बाद से आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों का जितना सशक्तिकरण हुआ है वो अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी का मत है कि देश के किसान का आत्मविश्वास देश का सबसे बड़ा सामर्थ्य है, और इसी को मूल मानकर केंद्र सरकार किसानों की दशा सुधारने और कृषि नीतियों को किसान केंद्रित बनाने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का निरंतर ये प्रयास है कि दुनिया के बड़े-बड़े देशों के किसानों को जो आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं वो भारत के किसान को भी मिलें। आदरणीय प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि हमारे किसान के लिए बीज से बाजार तक की यात्रा ना केवल सुगम हो बल्कि ये उसकी आय में वृद्धि करने वाली भी हो। उन्होंने कहा कि आज, देशभर के 11 करोड़ किसानों को श्प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजनाष् के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के भी लगभग 9 लाख के करीब अन्नदाताओं को सहायता राशि प्रदान की जा रही है।

       मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जहां एक ओर सभी प्रमुख फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में अभूतपूर्व वृद्धि कर किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्रदान किया जा रहा है। वहीं, ष्प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाष् के माध्यम से किसान को प्राकृतिक आपदाओं, फसल रोगों और कीटों से होने वाले नुकसान हेतु सुरक्षा कवच भी प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ष्मृदा स्वास्थ्य कार्डष् योजना के द्वारा खेतों की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कर किसानों को पोषक तत्त्वों की कमी और आवश्यक उर्वरकों की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे उनकी उपज की गुणवत्ता और भूमि की उर्वरता दोनों में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमारी राज्य सरकार भी प्रदेश के किसानों के उत्थान एवं समृद्धि हेतु संकल्पित होकर निरंतर कार्य कर रही है। हम एक ओर जहां प्रदेश में किसानों को तीन लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं कृषि उपकरण खरीदेने हेतु ष्फार्म मशीनरी बैंकष् योजना के माध्यम से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी प्रदान कर रहे हैं। यहीं नहीं, हमने किसानों के हित में नहरों से सिंचाई को पूरी तरह मुफ्त करने का काम किया है।

       मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने किसानों की आय बढ़ाने के लिए पॉलीहाउस के निर्माण हेतु 200 करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान भी किया है। इसके अंतर्गत अब तक राज्य में लगभग 115 करोड़ रुपए की सहायता से करीब 350 पॉलीहाउस स्थापित किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम जहां एक ओर गेहूं खरीद पर किसानों को 20 रूपए प्रति क्विंटल का बोनस प्रदान रहे हैं, वहीं हमने गन्ने के रेट में भी 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है। इसके अतिरिक्त, हमने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा आधारित खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये की लागत से ष्उत्तराखंड क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव रेन-फेड फार्मिंग प्रोजेक्टष् भी स्वीकृत किया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार सब्जियों की तरह ही फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी विभिन्न स्तरों पर काम कर रही है। हमारी सरकार ने 1200 करोड़ रुपये की लागत से नई सेब नीति, कीवी नीति, स्टेट मिलेट मिशन और ड्रैगन फ्रूट नीति जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया है। उन्होंने कहा कि इन नीतियों के तहत बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जा रही है।

        मुख्यमंत्री ने कहा कि हम किसानों की उपज की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए ग्रेडिंग-सॉर्टिंग यूनिट के निर्माण के लिए भी अनुदान प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 50 से अधिक मशरूम इकाईयां, 30 से अधिक मौनपालन इकाइयाँ, 30 कोल्ड चौन इकाइयाँ, 18 कोल्ड स्टोरेज, 5 सी.ए. स्टोरेज, 128 बड़ी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ, 1030 सूक्ष्म खाद्य उद्यम और 2 मेगा फूड पार्क स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत प्रदेश के कृषकों को पौधशाला स्थापना, संरक्षित खेती, औद्यानिक यंत्रीकरण, तुड़ाई उपरान्त प्रबंधन व प्रसंस्करण हेतु 50 से 55 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से फलों की उत्पादकता में ढाई गुना वृद्धि हुई है, जो पहले 1.82 मैट्रिक टन प्रति हैक्टेयर थी, वह अब 4.52 मैट्रिक टन हो गई है। मशरूम उत्पादन में आज उत्तराखण्ड देश में पाँचवें स्थान पर है। राज्य गठन के समय जहाँ मशरूम का उत्पादन मात्र 500 मैट्रिक टन उत्पादन था, वहीं आज यह बढ़कर 27,390 मैट्रिक टन हो गया है। इसी प्रकार शहद उत्पादन में भी राज्य देश में आठवें स्थान पर पहुँचा है और अब 3,320 मैट्रिक टन शहद का उत्पादन किया जा रहा है।

      मुख्यमंत्री ने कहा कि बागवानी के समग्र विकास हेतु जापान सहयोगित उत्तराखण्ड एकीकृत औद्यानिक विकास परियोजना के तहत 526 करोड़ रुपये की बाह्य सहायतित परियोजना टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल और पिथौरागढ़ जनपदों में लागू की …