दिल्ली विश्वविद्यालय में रस वैद्य बालेंदु प्रकाश का व्याख्यान विज्ञान और परंपरा का अनोखा संगम

नई दिल्ली। कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में बुधवार को एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें प्रख्यात रस वैद्य और पद्मश्री सम्मानित डॉ. बालेंदु प्रकाश

दिल्ली विश्वविद्यालय में रस वैद्य बालेंदु प्रकाश का व्याख्यान विज्ञान और परंपरा का अनोखा संगम

नई दिल्ली। कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में बुधवार को एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें प्रख्यात रस वैद्य और पद्मश्री सम्मानित डॉ. बालेंदु प्रकाश ने छात्र-छात्राओं एवं रसायन विज्ञान विभाग के शिक्षकों के साथ संवाद किया। कार्यक्रम का विषय था प्राण से प्रोटॉन: उपचार के आयाम, जिसमें उन्होंने प्राचीन भारतीय आयुर्वेद परंपरा और आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

अपने संबोधन में डॉ. प्रकाश ने कहा कि चिकित्सा पद्धति का उद्देश्य केवल रोग का उपचार नहीं, बल्कि रोगी के सम्पूर्ण जीवन को संतुलित और स्वास्थ्यपूर्ण बनाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “विज्ञान और परंपरा प्रतिस्पर्धी ध्रुव नहीं हैं, बल्कि पूरक स्तंभ हैं। वास्तविक चिकित्सा विचारधाराओं की लड़ाई में नहीं, बल्कि विनम्रता, क्लीनिकल प्रमाण और मरीजों के वास्तविक परिणामों में निहित है।”

उन्होंने अपने दशकों के चिकित्सीय अनुभव साझा करते हुए बताया कि रोगी की परिस्थिति, प्रकृति और शरीर-रचना को समझे बिना चिकित्सा अधूरी है। जटिल और जीर्ण रोगों के उपचार में अवलोकन, प्रयोगशीलता और निरंतर शोध की भूमिका को उन्होंने अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने छात्रों को समझाया कि आयुर्वेद में वर्णित सिद्धांत केवल दार्शनिक बातें नहीं, बल्कि गहन प्रेक्षण और सैकड़ों वर्षों के चिकित्सीय अनुभव का निष्कर्ष हैं।

इस अवसर पर डॉ. प्रकाश ने अपने संस्थान पड़ाव द्वारा किए जा रहे नैदानिक अनुसंधान, रोगियों के उपचार में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं और वैज्ञानिक सत्यापन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि पड़ाव का उद्देश्य आयुर्वेद को आधुनिक वैज्ञानिक भाषा में प्रस्तुत करना और इसे साक्ष्य-आधारित चिकित्सा के रूप में विकसित करना है, ताकि गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को विकल्प और आशा मिल सके।

व्याख्यान के दौरान विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों ने आयुर्वेद की वैज्ञानिक आधारशिला, रोग-प्रबंधन और अनुसंधान पद्धति के बारे में कई प्रश्न पूछे। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज प्रशासन ने डॉ. बालेंदु प्रकाश का आभार जताते हुए कहा कि इस तरह के संवाद युवा पीढ़ी को चिकित्सा विज्ञान के व्यापक दृष्टिकोण को समझने में मदद करते हैं और ज्ञान परंपराओं के बीच पुल बनाने का काम करते हैं।