लोकतंत्र में जनतंत्र की जीत: बालेन्दु प्रकाश
प्रदीप फुटेला रुद्रपुर । दिल्ली सरकार द्वारा 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर ईंधन प्रतिबंध लगाने का फैसला आखिरकार वापस ले लिया गया है। यह फैसला देशभर में मची नाराजगी और आलोचनाओं के बाद लिया गया, लेकिन इस बदलाव के पीछे एक मजबूत आवाज रही – पद्मश्री वैध बालेन्दु प्रकाश की। उन्होंने इस मुद्दे को केवल एक प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि आम जनता के जीवन और आजीविका से जुड़ा सवाल माना। वैध बालेन्दु प्रकाश ने सरकार के इस "तुगलकी फरमान" के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को सीधे पत्र लिखकर फैसले को जनविरोधी बताया। उनके पत्रों में उन्होंने तर्कसंगत तरीके से बताया कि कैसे यह आदेश लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों, टैक्सी चालकों, छोटे व्यापारियों और बुजुर्गों को प्रभावित कर रहा था, जिनकी गाड़ियां भले पुरानी हों, लेकिन फिट और प्रदूषण-मुक्त थीं। बालेन्दु प्रकाश ने यह भी कहा कि नियमों को प्रदूषण के आधार पर लागू किया जाना चाहिए, न कि महज उम्र के आधार पर। उनका कहना था कि "एक स्वस्थ शरीर की तरह ही एक फिट गाड़ी भी अपनी उम्र से ज्यादा चल सकती है, अगर उसकी देखभाल सही ढंग से की जाए।" उनकी यह बात सरकार तक पहुंची और अंततः सरकार ने फैसला पलट दिया। 1 जुलाई से लागू हुए इस नियम के अनुसार दिल्ली में 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल और 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं मिलने वाला था। इसके लिए पेट्रोल पंपों पर ANPR कैमरे तक लगाए गए थे। लेकिन अब, दिल्ली सरकार ने यू-टर्न लेते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि पेट्रोल पंपों पर पुरानी गाड़ियों को ईंधन मिलेगा और उन्हें जब्त भी नहीं किया जाएगा। अब कार्रवाई सिर्फ प्रदूषण के आधार पर की जाएगी। इस फैसले ने न केवल दिल्लीवासियों को राहत दी है, बल्कि देशभर के लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा ,यह भी साबित कर दिया है कि यदि कोई जनहितैषी आवाज दृढ़ता से उठे, तो सरकार को भी अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ता है। वैध बालेन्दु प्रकाश की यह पहल अब आम लोगों के लिए राहत की मिसाल बन गई है।
